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राजस्थान में पेयजल परियोजनाओं को स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत नोनेरा तथा परवान-अकावड़ पेयजल परियोजनाओं के लिये कार्य आदेश जारी किये हैं, जिनकी कुल लागत 5,184 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
मुख्य बिंदु
- लाभान्वित ज़िले: परियोजनाओं के पूर्ण होने पर कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां ज़िलों के घरों को नियमित पेयजल की आपूर्ति प्राप्त होगी।
- नोनेरा परियोजना कवरेज: नोनेरा परियोजना कोटा और बूंदी के 749 गाँव और 6 कस्बों को जलापूर्ति करेगी, जिससे 1,13,287 परिवार लाभान्वित होंगे।
- नोनेरा अवसंरचना: 1,661.14 करोड़ रुपए की स्वीकृत लागत वाली इस परियोजना में 1 इनटेक स्टेशन, 3 जल-शोधन संयंत्र, 14 भंडार, 137 ऊँची टंकियाँ तथा 4,560 किमी से अधिक पाइपलाइन नेटवर्क शामिल है।
- परवन-अकावड़ कवरेज: इस परियोजना से 1,402 गाँवों को लाभ होगा, जिनमें बारां के 907, कोटा (सांगोद) के 184, झालावाड़ के 311 तथा 276 छोटे गाँव सम्मिलित हैं, जिससे कुल 1,52,437 परिवारों को लाभ प्राप्त होगा।
- परवन-अकावड़ अवसंरचना: 3,523.16 करोड़ रुपए की स्वीकृति वाली इस परियोजना में 2 इनटेक स्टेशन, 2 शोधन संयंत्र, 41 भंडार, 276 ऊँची टंकियाँ तथा 10,000 किमी से अधिक पाइपलाइनें शामिल हैं।
- समय-सीमा: दोनों परियोजनाओं को अगस्त 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है, जिससे जल जीवन मिशन (JJM) के अंतर्गत हर घर तक नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के राज्य लक्ष्य को समर्थन मिलेगा।
जल जीवन मिशन (JJM)
- परिचय:
- 15 अगस्त, 2019 को प्रारम्भ किया गया जल जीवन मिशन (JJM), प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखता है। मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 से बढ़ाकर 2028 कर दिया गया है, जिसके तहत प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल उपलब्ध कराना है।
- यह एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है, जिसका क्रियान्वयन जल शक्ति मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- उद्देश्य: (स्मरण सूत्र: TAP)
- T – प्रत्येक ग्रामीण परिवार को लक्षित करना: सभी ग्रामीण परिवारों को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) उपलब्ध कराना।
- A – प्राथमिकता वाले क्षेत्र: गुणवत्ता-प्रभावित, अर्द्ध-शुष्क, सूखाग्रस्त, मरुस्थलीय क्षेत्रों तथा संसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) के अंतर्गत आने वाले ग्रामों को प्राथमिकता देना।
- P – सार्वजनिक स्थान: विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र, ग्राम पंचायत भवन तथा अन्य सामुदायिक स्थलों पर नलजल की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
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राजस्थान में उन्नत खनिज अन्वेषण हेतु AI का उपयोग
चर्चा में क्यों?
राजस्थान खनिज अन्वेषण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तथा मशीन लर्निंग (ML) को लागू करने जा रहा है, जो राज्य के खनन क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण तकनीकी परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मुख्य बिंदु
- समझौते: प्रवासी राजस्थान दिवस के दौरान दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, एक IIT हैदराबाद के साथ और दूसरा IIT ISM धनबाद के साथ।
- राष्ट्रीय संरेखण: यह पहल महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की खोज में सुधार करके आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का समर्थन करती है।
- डेटा सहयोग: RSMET और IIT हैदराबाद के बीच एक आशय पत्र के माध्यम से डेटा का आदान-प्रदान और सहयोगात्मक अनुसंधान संभव होगा।
- खनन अपशिष्ट अध्ययन: IIT ISM धनबाद के साथ साझेदारी का उद्देश्य राजस्थान में खनन अपशिष्टों और अवशेषों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करना है।
- डेटासेट एकीकरण: खनिज-समृद्ध क्षेत्रों की पहचान करने के लिये 39 ज़िलों से प्राप्त भूवैज्ञानिक, भू-रासायनिक, भू-भौतिकीय, रिमोट सेंसिंग और उपग्रह डेटासेट को संयोजित किया जाएगा।
- लक्षित खनिज: अन्वेषण ताँबा, ग्रेफाइट, जस्ता, लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों पर केंद्रित होगा।
- परियोजना की समयसीमा: IIT हैदराबाद के साथ यह सहयोग 18 महीनों में चार चरणों में पूरा किया जाएगा, जिससे राज्य के लिये खनिज विकास का रोडमैप तैयार होगा।
- चिह्नित डंप: विभाग ने एक वर्षीय IIT ISM धनबाद परियोजना के तहत मूल्यांकन के लिये 80 खदान डंप का चयन किया है, जिसमें मानचित्रण, नमूनाकरण, निष्कर्षण अध्ययन और खनिज विश्लेषण शामिल हैं।
- राष्ट्रीय महत्त्व: रणनीतिक खनिजों की बढ़ती घरेलू और वैश्विक मांग के कारण, राजस्थान भारत के महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन में एक मुख्य भूमिका निभाता है।
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